History
प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण पत्तन एवं नगर
चम्पा
- बिहार के भागलपुर जिले में स्थित चम्पा छठी शताब्दी ई. पू. में प्राचीन अंग देश की राजधानी था। चम्पा एक महान वाणिज्यिक केंद्र तथा बौद्धों और जैनों का समान रूप से एक महान तीर्थस्थल था चम्पा को भारत के छः महान नगरों में प्रमुख नगर स्वीकार किया जाता था। इसे छठी शताब्दी ई. पू. का माना जाता है।
अरिकमेडु
- अरिकमेडु पांडिचेरी से तीन किमी दक्षिण में स्थित है, यह इंडो रोमन सामुद्रिक व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ से अनेक रोमन-यूनानी मृदभांडों के अवशेष तथा सिक्के प्राप्त हुए हैं।
बारबैर्किम
- बारबैर्किम (बारबैरिकम) सिंधु के मध्यवर्ती मुहाने पर स्थित था, प्रारम्भिक प्राचीन भारत का प्रमुखतम महान बन्दरगाह तथा वाणिज्यिक नगर था। बारबैरिकम में बड़ी मात्रा में विश्व के विभिन्न भागों में महीन वस्त्र, मूल्यवान पत्थर, चांदी, सोने की पट्टिकाएँ तथा मदिरा का आयात होता था।
- भारत के विभिन्न भागों में तैयार की गई विभिन्न व्यापारिक वस्तुएँ (सूती वस्त्र, रेशमी धागे, नील) निर्यात की जाती थी।
भरुकच्छ-(भृगुकच्छ)
- नर्मदा के तट पर स्थित भरुकच्छ (गुजरात का आधुनिक भड़ौच) प्राचीन भारत में गुजरात का सर्वाधिक प्रसिद्ध बन्दरगाह तथा वाणिज्यिक नगर था। अनेक बौद्ध और संस्कृत ग्रन्थों में भरुकच्छ का विस्तृत वर्णन मिलता है। ईस्वी सन की प्रारम्भिक शताब्दियों से लेकर तेरहवीं शताब्दी के अंत तक भरुकच्छ समृद्धशाली नगर तथा सम्पन्न बन्दरगाह के रूप में चर्चित रहा था।
चौल-
- महाराष्ट्र के थाणे जिले में बंबई (मुंबई) से लगभग 50 किमी दूर अरब सागर के तट पर स्थित चौल प्राचीन बन्दरगाह था, इसका उल्लेख 150 ई. में टोलेमी ने किया है, दसवीं, ग्यारहवीं तथा बारहवीं शताब्दियों के अरबी विवरणों में भी इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है।
कावेरीपत्तनम अथवा पुहार
- तमिलनाडु के सियाली तालुका में कावेरी नदी के मुहाने पर स्थित कावेरीपत्तनम संगम युग के प्रारम्भिक चोल राजाओं की राजधानी थी, इसका उल्लेख संगम साहित्य, टॉलेमी तथा पेरिप्लस द्वारा किया गया। ईस्वी सन की प्रथम तीन शताब्दियों तक कावेरीपत्तनम समृद्धशाली नगर तथा प्रसिद्ध पत्तन (बन्दरगाह) बना रहा था।
कौशांबी
- उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद के दक्षिण-पश्चिम में 50 किमी दूर यमुना तट पर स्थित कौशांबी छठी शताब्दी ई. पू. में वत्स महाजनपद की राजधानी थी। परवर्ती वैदिक काल से लेकर बारहवीं शताब्दी ई. तक कौशांबी एक समृद्धशाली नगर के रूप में चर्चित था। यह बौद्ध धर्म का भी प्रसिद्ध केंद्र था।
मदुराई
- तमिलनाडु में वैगाई नदी के तट पर स्थित मदुराई (प्रायद्वीपीय नगर) भारत का एक प्रमुख वाणिज्यिक नगर था।
- टोलेमी ने इसका उल्लेख ‘मदुरा’ नाम से किया है। प्रारम्भिक पाण्ड्यों के काल में मदुराई उनकी राजधानी थी। ‘संगम युग में कवियों’ का एक प्रसिद्ध केंद्र ‘मदुराई’ था। प्राचीन विवरणों में इसका उल्लेख ‘दक्षिण के भूमध्यसागरीय वाणिज्यिक केंद्र’ के रूप में किया गया है।
- रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार को प्रोत्साहित करने हेतु पाण्ड्य शासक ने रोमन सम्राट सीजर आगस्ट्स के पास एक दूत मण्डल भेजा था। मदुराई में पाये गए रोमन सिक्के रोमन साम्राज्य के साथ घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्धों के साक्ष्य हैं।
मौजिरिस अथवा मुजिरिस
- द्वितीय शताब्दी ई. पू. में मौजिरिस तट का सबसे प्रमुख बन्दरगाह था, केरल में अलवै के समीप क्रैगनोर से इसकी पहचान की गई है। मौजिरिस में रोमन और अरब देशों के जहाज भारतीय माल से अपनी पण्य वस्तुओं का विनिमय करते थे। यहाँ से ही पूर्वी तथा पश्चिमी दुनिया को मसालों, बहुमूल्य रत्नों तथा दालचीनी की पत्तियों का समान रूप से और प्रचुर मात्रा में निर्यात किया जाता था। संगम काल में प्रसिद्ध चेर बन्दरगाह मौजिरिस भारत रोमन व्यापार का प्रमुख केंद्र था।
नागपत्तनम
- तमिलनाडु के तंजावुर जिले में मद्रास से लगभग 340 किमी दूर स्थित नागपत्तनम कारोमंडल तट का अति प्राचीन बन्दरगाह था। यह रोमन व्यापार का प्रमुख केंद्र था।
प्रतिष्ठान अथवा पैठन
- महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित पैठन सातवाहन काल में व्यापार-वाणिज्य का प्रमुख केंद्र था| पेरिप्लस ने भी पैठन का विस्तृत उल्लेख किया है| पैठन उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाले मुख्य व्यापारिक मार्ग पर स्थित था| पैठन में वस्त्र व्यवसाय बहुत प्रसिद्ध था।
सुपरिक अथवा सोपारा
- महाराष्ट्र में बंबई (मुंबई) से लगभग 60 किमी उत्तर में स्थित सुपरिक (सोपारा) एक अति प्रसिद्ध प्राचीन बन्दरगाह था। टॉलेमी, मैगस्थनीज, एरियन आदि यूनानी लेखकों तथा प्रारम्भिक बौद्ध ग्रन्थों में इसका उल्लेख है।
- समुद्रतटीय वाणिज्यिक केंद्र के रूप में चौथी शताब्दी ई. पू. से लेकर दसवीं शताब्दी ई. तक यह व्यापार एवं वाणिज्य का महत्वपूर्ण केंद्र समझा जाता था। यह बौद्ध धर्म का भी महान केंद्र था।
ताम्रलिप्ति
- पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले में स्थित तामलुक से इसकी पहचान की गई थी। यह बहुत ही प्राचीन बन्दरगाह था, जो चौथी शताब्दी ई. पू. से लेकर बारहवीं शताब्दी ई. तक समुद्री पत्तन तथा वाणिज्य केंद्र के रूप में प्रसिद्ध रहा।
विदिशा अथवा भिलसा अथवा बेसनगर
- मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में बेतबा नदी के तट पर स्थित विदिशा अथवा भिलसा अथवा बेसनगर का सभी विदेशी विवरणों व प्राचीन भारतीय साहित्य में उल्लेख मिलता है।
- इसकी आर्थिक समृद्धि दो महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों के चौराहे पर इसकी अनुकूल स्थिति के कारण थी, जिसमें से एक मार्ग प्रतिष्ठान से महिष्मती, उज्जैनी और कौशांबी जाता था, जबकि दूसरा मार्ग अरब सागर के तट पर स्थित भरुकच्छ और सूर्पारक से उज्जयिनी के रास्ते मथुरा को जोड़ता था।
- इन मार्गों से पर्याप्त माल का आवागमन होता था, जिससे शनैः-शनैः विदिशा प्राचीन भारत का एक समृद्धशाली नगर बन गया था। विदिशा की आर्थिक समृद्धि साम्राज्यवादी गुप्त शासकों के युग तक बनी रही।
उरैयूर
- उरैयूर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में स्थित है। संगम युग के दौरान प्रारंभिक चोलों ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।
- उरैयूर वस्त्र उद्योग के लिये प्रसिद्ध था। उरैयूर से रोमन सिक्कों एवं कुछ अन्य वस्तुओं की प्राप्ति से ऐसा अनुमान है कि इसके रोमन साम्राज्य से व्यापारिक संबंध थे। यह मोती उत्पादन केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध था।
धान्यकटक
- मौर्योत्तरकालीन प्रमुख स्थल है जो वर्तमान में धरनिकोटा नाम से आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में अवस्थित है। अत्यधिक धान की पैदावार होने के कारण इसका नाम धान्यकटक पड़ा।
- यहां एक बड़ा बौद्ध स्तूप पाया गया है।
- ह्वेनसांग ने इस का विस्तृत वर्णन किया है।
नानाघाट
- नानाघाट सातवाहनकालीन एक प्रमुख स्थल था। यहां से सातवाहन शासक शातकर्णी प्रथम की रानी नागनिका का गुहालेख प्राप्त हुआ है।
- इस गुहालेख से ज्ञात होता है कि शातकर्णी ने अश्वमेध यज्ञ किया था।
पलूरा
- पलूरा मौर्योत्तर काल का एक प्रमुख बंदरगाह था। यह चिल्का झील के ठीक दक्षिण में स्थित था।
- वर्तमान में यह पलूर गांव के नाम से जाना जाता है।
- ग्रीक भूगोलवेत्ता टॉलमी ने इसका उल्लेख किया है।
- यह दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर जाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह था।
सोपारा
- मौर्यकालीन एवं मौर्योत्तरकालीन एक प्रमुख बंदरगाह था।
- यह वर्तमान में महाराष्ट्र के पालधर जिले में अवस्थित है। इसे सूपरिक के नाम से भी जाना जाता है।
- एक व्यापारिक मार्ग सोपारा को उज्जैन से जोड़ता था।
- टॉलमी के ऐतिहासिक ग्रंथ में सोपारा का वर्णन किया गया है।
नासिक
- यह महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक जिला है जो गोदावरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।
- नासिक से गौतमी बलश्री का अभिलेख प्राप्त हुआ है।
- यह एक समृद्ध स्थल था क्योंकि भड़ौच को जाने वाला व्यापारिक मार्ग यहीं से होकर गुजरता था।
भड़ौच
- भड़ौच पश्चिमी भारत में स्थित एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था।
- यह वर्तमान में गुजरात के भरूच जिले के अंतर्गत आता है।
- ‘पेरीप्लस ऑफ द एरीथ्रियन सी’ नामक पुस्तक के लेखक ने इसकी चर्चा की
- है।
- इस बंदरगाह से मोती, कीमती पत्थर, मसाले एवं मलमल पश्चिम में ग्रीस के शासकों को भेजे जाते थे।
ताम्रलिप्ति
- ताम्रलिप्ति को वर्तमान में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के ताम्रलुक के रूप में जाना जाता है।
- यह पूर्वी भारत में स्थित एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था।
- यहां से चीन, इंडोनेशिया तथा श्रीलंका आदि से व्यापारिक आदान-प्रदान किया जाता था।
बारबरीकम
- बारबरीकम मौर्योत्तर काल का एक प्रमुख बंदरगाह था जो वर्तमान के कराची (पाकिस्तान) के निकट स्थित था।
- यहां से वस्तुएं पश्चिमी देशों को निर्यात की जाती थीं। यहां बैक्ट्रिया से चीनी फर एवं सिल्क आता था जिन्हें यहां से पश्चिमी देशों को भेज दिया जाता था।
Post a Comment
0 Comments