2nd Grade SST
दादू सम्प्रदाय
राजस्थान के संत दादूदयाल
दादू सम्प्रदाय संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य
व्यक्तित्व परिचय
- दादूदयाल जी जन्म 1544 ईस्वी (वि.सं. 1601 में) में अहमदाबाद में हुआ। ये 1568 ई. में सांभर आ गए।
- ये आमेर के राजा मानसिंह और मुगल बादशाह अकबर के समकालीन थे।
- दादू सम्प्रदाय की स्थापना दादू दयाल जी ने 1574 ई. में की थी। इस सम्प्रदाय की प्रमुख गद्दी नरैना (नरायणा, जयपुर) में है।
- इनके गुरु वृद्धानंद थे।
- वे भक्तिकालीन ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख संत कवि थे। निर्गुण भक्ति परंपरा में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।
- निर्गुण पंथियों के समान दादूपंथी लोग भी अपने को निरंजन, निराकार उपासक मानते हैं।
- 1585 ई. में फतेहपुर सीकरी की यात्रा के दौरान दादू की भेंट मुगल सम्राट अकबर से भेंट कर उसे अपने विचारों से प्रभावित किया।
- इनके शिष्यों में बखनाजी, रज्जबजी, सुन्दरदास माधोदास आदि अनेक प्रसिद्ध सत हुए
साहित्य के क्षेत्र में योगदान
- दादू दयाल जी ने 'हिन्दी मिश्रित सधुकडी' भाषा में दादूजी री वाणी तथा दादूजी रा दूहा रचनाएं लिखीं।
52 स्तम्भ
- दादू दयल के 152 शिष्य थे जिनमें 100 ग्रहस्थ थे एवं 52 साधु थे। जो दादू पंथ के 52 स्तम्भ कहलाए।
- इनके प्रमुख शिष्यों में उनके दोनों पुत्र गरीबदास व मिस्किनदास थे।
- संत दादूदयाल ने सुन्दरदासजी सहित श्रीलाखाजी और नव्हरिजी को दौसा के पास स्थित गेटोलाव में अपना शिष्य बनाकर दादूपंथ की दीक्षा दी थी।
- अन्य शिष्यों में बखना, रज्जबजी, संतदास, जगन्नाथ दास एवं माधोदास थे। (आरएएस, 2021 प्री)
दादू पंथ की शाखाएं
- दादूजी की मृत्यु के बाद दादू पंथ 6 शाखाओं में बंट गया था, जो निम्न हैं:
- 1. खालसा- यह दादू सम्प्रदाय की प्रधान पीठ नरैना से सम्बद्ध है। इस शाखा के मुखिया इनके पुत्र गरीबदास जी थे।
- 2. नागा- दादू सम्प्रदाय में नागापंथ की स्थापना संत सुन्दरदास जी ने की। नागा साधु अपने साथ हथियार रखते थे तथा जयपुर राज्य में दाखिली सैनिक के रूप में कार्य करते थे। जब इनके आतंक से जनता परेशान हो गई तो सवाई जयसिंह ने एक नियम बनाकर इनके शस्त्र रखने पर पाबंदी लगा दी।
- 3. विरक्त- ये रमते-फिरते दादू पंथी साधु थे जो गृहस्थियों को आदेश देते थे।
- 4. खाकी- ये शरीर पर भस्म लगाते थे तथा खाकी वस्त्र पहनते थे।
- 5. उत्तरादे- जो राजस्थान छोड़कर उत्तरी भारत की ओर चले गए थे।
- 6. निहंग- वे साधु जो घुमन्तु थे।
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