जैन धर्म
Jain Dharm जैन धर्म जैन शब्द संस्कृत भाषा के ' जिन ' शब्द से बना है , जिसका अर्थ ' विजेता ' होता है अर्थात् जिसने अपनी इंद्रियों को जीत लिया हो। जैन अनुश्रुतियों और परम्पराओं के अनुसार जैन धर्म 24 तीर्थंकर माने गए हैं , परंतु पहले 22 तीर्थंकर की ऐतिहासिकता संदिग्ध है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर एवं संस्थापक ऋषभदेव है और अंतिम 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमी का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। पार्श्वनाथ 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे। इनका जन्म इक्ष्वाकु वंशीय राजा अश्वसेन के घर हुआ था। जैन साहित्य के अनुसार इनका जन्म महावीर से लगभग 250 ईसा पूर्व 8वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था। इनकी माता का नाम वामा था। इनका विवाह कुशस्थल की राजकन्या प्रभावती के साथ हुआ था। 30 वर्ष की अवस्था में वैभव - विलास पूर्ण जीवन का त्याग कर दिया। 83 दिन की घोर तपस्या के बाद सम्मेद पर्वत पर इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। पार्श्वनाथ द्वारा प्रतिपादित मार्ग का अनुसशरण करने वाले अनुयायी ' निर्ग्रन्थ ' कहलाये , क्योंकि वे सांसारिक बंधनों यान...