'पाहुड दोहा' के रचनाकार हैं
'पाहुड दोहा'(Pahud Doha) कृति के कृतिकार कौन हैं?
1. धनपाल2. देवसेन
3. आचार्य हेमचन्द्र
4. मुनि रामसिंह जैन
उत्तर- 4
मध्यकाल के प्रसिद्ध मुनि रामसिंह का पाहुड दोहा अपभ्रंश की एक महत्वपूर्ण कृति है। उसमें वे सभी प्रवृत्तियां मौजूद थीं, जो आगे चलकर हिन्दी के निर्गुणकाव्य की विशेषता बनीं। उनमें रहस्यवाद प्रमुख है।
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
सूची-I सूची-II
(A) प्रिय स्वतंत्र-रव-अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे। (i) जयशंकर प्रसाद
(B) इस पार प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा। (ii) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
(C) अरे कहीं देखा है तुमने मुझे प्यार करने वाले को (iii) हरिवंशराय बच्चन
(D) यह मंदिर का दीप इसे नीरव जलने दो। (iv) महादेवी वर्मा
(v) सुमित्रानंदन पंत
कोड:
(A) (B) (C) (D)
(a) i ii iii iv
(b) iii iv v i
(c) ii iii i iv
(d) iv i ii iii
उत्तर- c
वर, दे वीणावादिनी वर दे!
प्रिय प्रिय स्वतंत्र-रव-अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
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