राजस्थान के संत दादूदयाल दादू सम्प्रदाय संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य व्यक्तित्व परिचय दादूदयाल जी जन्म 1544 ईस्वी (वि.सं. 1601 में) में अहमदाबाद में हुआ। ये 1568 ई. में सांभर आ गए। ये आमेर के राजा मानसिंह और मुगल बादशाह अकबर के समकालीन थे। दादू सम्प्रदाय की स्थापना दादू दयाल जी ने 1574 ई. में की थी। इस सम्प्रदाय की प्रमुख गद्दी नरैना (नरायणा, जयपुर) में है। इनके गुरु वृद्धानंद थे। वे भक्तिकालीन ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख संत कवि थे। निर्गुण भक्ति परंपरा में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। निर्गुण पंथियों के समान दादूपंथी लोग भी अपने को निरंजन, निराकार उपासक मानते हैं। 1585 ई. में फतेहपुर सीकरी की यात्रा के दौरान दादू की भेंट मुगल सम्राट अकबर से भेंट कर उसे अपने विचारों से प्रभावित किया। इनके शिष्यों में बखनाजी, रज्जबजी, सुन्दरदास माधोदास आदि अनेक प्रसिद्ध सत हुए साहित्य के क्षेत्र में योगदान दादू दयाल जी ने 'हिन्दी मिश्रित सधुकडी' भाषा में दादूजी री वाणी तथा दादूजी रा दूहा रचनाएं लिखीं। 52 स्तम्भ दादू दयल के 152 शिष्य थे जिनमें 100 ग्रहस्थ थे एवं 52 साधु थ...
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