हिन्दी का प्रथम चम्पू काव्य ग्रंथ है?
राउलवेल/राउरवेलि
- यह हिन्दी साहित्य की प्राचीनतम हिंदी कृति है, जिसे गद्य-पद्य मिश्रित चम्पू-काव्य में लिखा गया है। राउलवेल का अर्थ राजकुल का विलास होता है।
- इसके रचयिता रोढ़ा नामक कवि है।
- इसका रचना काल 10वीं शताब्दी माना है।
- यह एक शिलांकित कृति है। ये शिलाएं मालवा क्षेत्र के धार जिले (मध्य प्रदेश) से प्राप्त हुए हैं।
- वर्तमान में मुम्बई के प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई है।
- इसकी रचना ''राउल'' नायिका के नख-शिख वर्णन के प्रसंग में हुई है।
- आरम्भ में कवि ने राउल के सौंदर्य का वर्णन पद्य में किया है और फिर गद्य का प्रयोग किया गया है।
- इस कृति से ही हिन्दी में नख-शिख वर्णन परम्परा आरम्भ होती है।
- इसकी भाषा में हिन्दी की सात बोलियों के शब्द मिलते हैं, जिनमें राजस्थानी प्रधान है।
- कवि ने विषय वर्णन बड़ी तन्मयता से किया है।
- नायिका राउल का श्रृंगार आकर्षण से भरा हुआ है। वह सहज रूप में जितनी सुन्दर है उतनी ही सहज सुन्दर उसकी सज्जा भी है। इस सौन्दर्य के अनुकूल ही उसकी भाव-दशा भी है।
राउलवेल का सर्वप्रथम प्रकाशन किस पत्रिका में किया गया?
- डॉ. भयाणी ने भारतीय विद्या पत्रिका से
हिन्दी में में नख-शिख वर्णन परम्परा का सर्वप्रथम प्रयोग किस रचना में किया गया?
- राउलवेल
हिन्दी का प्रथम चम्पू काव्य ग्रंथ है?
-राउलवेल
बच्चन सिंह ने राउलवेल कृति के रचयिता माना है?
- रोउ/रोड कवि को
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