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Showing posts from January, 2023

अंधता नियंत्रण के लिए पॉलिसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य राजस्थान

अंधता नियंत्रण के लिए पॉलिसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना कौन सा है? - राजस्थान   अंधता निवारण के लिए पॉलिसी देश में पहली बार राजस्थान सरकार द्वारा ‘राइट टू साइट विजन’ के उद्देश्य के साथ अंधता नियंत्रण पॉलिसी लागू की है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के दिशा-निर्देश पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा 13 जनवरी, 2023 को अंधता निवारण के लिए पॉलिसी का डॉक्यूमेंट जारी किया गया। राज्य में तीन लाख से अधिक दृष्टिबाधिता से पीड़ित लोगों के जीवन में रोशनी लाने के उद्देश्य से इस पॉलिसी को लाया गया है। उल्लेखनीय है कि देश में वर्ष 2020 में अंधता प्रसार दर 1.1 प्रतिशत थी, जिसे राइट टू साइट विजन पॉलिसी के द्वारा 0.3 प्रतिशत तक लाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। केराटोप्लास्टी सेंटर एवं आई बैंक खोले जाएंगे राज्य सरकार की अंधता नियंत्रण पॉलिसी के तहत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अनिवार्य रूप से केराटोप्लास्टी सेंटर और आई बैंक संचालित किये जाएंगे। इस पॉलिसी के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले निजी संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा एकत्रित कॉर्निया को प्राथमिकता से सरकारी संस्थ...

शिव प्रसाद सिंह के 'अलग-अलग वैतरणी' उपन्यास का सारांश लिखिए?

Shiv prasad singh ke alag-alag-vaitarini-upanyas ka saransh likhiye  'अलग-अलग वैतरणी' उपन्यास का सारांश alag-alag-vaitarini-upanyas ka saransh हिन्दी के उपन्यासकार शिव प्रसाद सिंह द्वारा रचित उपन्यास 'अलग-अलग वैतरणी' में भारतीय गांवों के प्रतिनिधि के रूप में 'करैता' गांव का अत्यन्त यथार्थवादी चित्रण प्रस्तुत किया गया है। सजीव ग्रामीण परिवेश की ठनक पहचानने के बहाने आजादी के बाद भारतीय जीवन की विसंगतियों, कठोर सच्चाइयों से सीधा साक्षात्कार करने की कोशिश इस उपन्यास में की गई है।  स्वतंत्रता के बाद देश के नए गांव जमींदारी उन्मूलन से संदर्भित विकृतियों से युक्त होकर एक नया रूप धारण कर लेते हैं। जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद ग्रामीण जनता ने विशेषकर किसानों ने समझा था कि उनका भाग्य उदय होगा, जिन्दगी आराम से कटेगी। अत्याचार एवं अनाचार खत्म होंगे, लेकिन उनकी आशा-निराशा में बदल गयी। पहले जमींदार अत्याचार करते थे, लेकिन अब उनका स्थान छुटभइयों ने ले लिया है। जो पहले जमींदारों के बूटों से रौंदे जाते थे। अब छुटभैये गोल बनाकर अपने से कमजोरों, गरीबों को सताते हैं, लूटते है...

प्रगतिवादी उपन्यास

Pragativadi Upanyas यशपाल  यशपाल सक्रिय क्रांतिकारी पृष्ठभूमि से साहित्य में आए थे। यशपाल का पहला उपन्यास  दादा-कॉमरेड , जो वर्ष 1941 में प्रकाशित हुआ। अंतिम उपन्यास मेरी तेरी उसकी बात , जो वर्ष 1973 में प्रकाशित हुआ। अन्य उपन्यास दादा-कॉमरेड (1941) देशद्रोही (1943) दिव्या (1945) पार्टी-कॉमरेड (1946) मनुष्य के रूप (1949) अमिता (1956) झूठा-सच 1 और 2 (1958-60) बारह घंटे (1963) अप्सरा का श्राप (1965) क्यों फंसे (1968) मेरी तेरी उसकी बात (1973) यशपाल ने गांधीवादी राजनीति और आर्य समाज की छाया में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। विचारों की दृष्टि से इसे उनकी लम्बी रचनात्मक यात्रा भी कहा जा सकता है। 'दादा-कॉमरेड' यशपाल के क्रांतिकारी और फरारी के जीवन के अनुभवों पर आधारित है। तीसरे दशक के अंत तक आतंकवादी क्रांतिकारियों में जो वैचारिक बदलाव घटित हो रहा था, यह बदलाव उनके बीच जिस प्रकार बहस का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ था, दो प्रमुख पात्रों को केन्द्र में रखकर यशपाल परिवर्तन की उस समूची प्रक्रिया को अंकित करते हैं। दादा के रूप में यशपाल चन्द्रशेखर आजाद को प्रस्तुत करते हैं, जबकि ...