रीतिकालीन काव्य संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्न
ritikalin kavya sambandhi mahatvpurna prashn
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने ग्रन्थ हिन्दी साहित्य का इतिहास में संवत 1700 से संवत् 1900 (सन् 1643 से 1843) तक के काल को उत्तर मध्यकाल अथवा रीतिकाल नाम दिया है।
इनमें से कौन रीतिबद्ध कवि नहीं है?
अ. मतिराम
ब. केशवदास
स. घनानंद
द. चिंतामणि
उत्तर- स
व्याख्या
इनमें चिन्तामणि, मतिराम, केशवदास आदि रीतिबद्ध से संबंधित कवि हैं, जबकि घनानंद रीतिबद्ध काव्यधारा के कवि नहीं है।
निम्नलिखित में से कौन-से रीतिसिद्ध कवि हैं?
अ. देव
ब. बिहारी
स. मतिराम
द. पदमाकर
उत्तर- ब
निम्न में से कौनसा कवि रीतिमुक्त धारा से सम्बन्धित नहीं है?
1. घनानन्द
2. ठाकुर
3. गिरधर कविराय
4. देव
उत्तर- 4
रीतिमुक्त प्रेमकाव्य की रचना करने वालों में रसखान (Raskhan), घनानन्द (Ghanaanand), आलम (Aalam), बोधा (Bodha), ठाकुर, गुरु गोविन्दसिंह, गिरधर कविराय, बनवारी आदि कवि प्रमुख माने जाते हैं।
रीतिबद्ध कवि
चिन्तामणि त्रिपाठी, मतिराम, राजा जसवन्तसिंह, भूषण, पद्माकर भट्ट, देव, भिखारीदास, गंग, श्रीपति, सेनापति आदि प्रमुख हैं।
इनमें से किस कवि ने लक्षण ग्रंथ नहीं लिखा?
अ. देव
ब. पद्माकर
स. भूषण
द. बिहारी
उत्तर- द
‘बरवै नायिका भेद’ का रचनाकार कौन हैं?
अ. रहीम
ब. रसलीन
स. बिहारी
द. मतिराम
उत्तर- अ
निम्नलिखित में से कौन आचार्य कवि नहीं है?
अ. केशवदास
ब. भिखारीदास
स. चिंतामणि
द. ब्रजवासीदास
उत्तर- द
नंददास की किस रचना का संबंध नायक-नायिका भेद से है?
अ. रासपंचाध्यायी
ब. रसमंजरी
स. स्थामसगाई
द. भंवर गीत
उत्तर- ब
रीतिमुक्त (Ritimukat) कवि नहीं है?
अ. घनानंद
ब. बोधा
स. जसवंत सिंह
द. ठाकुर
उत्तर- स
घनानंद (Ghananand) किस वैष्णव सम्प्रदाय के थे?
अ. राधा वल्लभ
ब. मध्व सम्प्रदाय
स. सखी सम्प्रदाय
द. निम्बार्क सम्प्रदाय
उत्तर- द
इनमें से कौन-सी रचना केशवदास (Keshavdas) की नहीं है?
अ. रामचन्द्रिका
ब. कविप्रिया
स. ललित ललाम
द. रसिकप्रिया
उत्तर- स
लक्षण ग्रंथ का अर्थ है?
अ. नायिका भेद
ब. काव्यांग विवेचन
स. रस निष्पत्ति
द. गुण-दोष
उत्तर- ब
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना चिंतामणि की है?
अ. अलंकार प्रकाश
ब. रसराज
स. कवि कुलकल्पतरु
द. काव्य निर्णय
उत्तर- स
‘कविकुल कल्पतरु’ के रचनाकार हैं?
अ. देव
ब. केशवदास
स. चिंतामणि
द. भिखारीदास
उत्तर- स
बिहारी (Bhihari) किस धारा के कवि है?
अ. रीतिसिद्ध
ब. रीतिमुक्त
स. स्वच्छन्द
द. रीतिबद्ध
उत्तर- अ
बिहारीलाल किस राजा के आश्रित कवि थे?
अ. महाराज भावसिंह
ब. महाराज जसवंत सिंह
स. मिर्जा राजा जयसिंह
द. महाराज देवीसिंह
उत्तर- स
देव कवि की रचना है?
अ. काव्यनिर्णय
ब. रसराज
स. श्रृंगार निर्णय
द. भावविलास
उत्तर- द
निम्नलिखित में से कौन-सा मतिराम का ग्रंथ नहीं है?
अ. रसराज
ब. रसविलास
स. ललित ललाम
द. छंदसार
उत्तर- ब
वृन्द-सतसई की विषयवस्तु क्या है?
अ. नायिका-भेद
ब. श्रृंगार
स. नीति
द. भक्ति
उत्तर- स
निम्नलिखित में से कौन रीतिमुक्त कवि नहीं हैं?
अ. बोधा
ब. ठाकुर
स. पद्माकर
द. आलम
उत्तर- स
‘कवित्त रत्नाकर’ किस कवि की कृति है?
अ. केशवदास
ब. भिखरीदास
स. पद्माकर
द. सेनापति
उत्तर- द
नायिका भेद पर आधारित ग्रंथ ‘रसमंजरी’ (Rasmanjari) के रचनाकार हैं?
अ. सूरदास
ब. बिहारी
स. नंददास
द. विद्यापति
उत्तर- स
रीति मुक्त श्रृंगारी कवि नहीं है?
अ. सेनापति
ब. द्विजदेव
स. आलम
द. ठाकुर
उत्तर- अ
इनमें किसका समय सबसे बाद में है?
अ. केशवदास
ब. रहीमदास
स. घनानंद
द. पद्माकर
उत्तर- द
निम्नलिखित में से कौन नीतिकार कवि नहीं है?
अ. रहीमदास
ब. गिरधर कविराय
स. दीनदयाल गिरि
द. गिरिधर दास
उत्तर- द
‘छत्रप्रकाश’ प्रबंध काव्य के रचनाकार हैं?
अ. सूदन
ब. लालकवि
स. भूषण
द. पद्माकर
उत्तर- ब
‘जहांगीर-जस-चंद्रिका’ (Jahangir jas chandrika) रचना किसकी है?
अ. केशवदास
ब. मतिराम
स. भूषण
द. देव
उत्तर- अ
कृपाराम द्वारा रचित नायिका-भेद की सबसे पुरानी पुस्तक है?
अ. हित-तरंगिणी
ब. श्रुतिभूषण
स. उज्ज्वल नीलमणि
द. कर्णाभरण
उत्तर- अ
‘देव की ध्वनि संवेदनशीलता समूचे रीतिकाल में अप्रतिम है’ - कथन है?
अ. डॉ. नगेन्द्र का
ब. विश्वनााि प्रसाद मिश्र
स. बच्चन सिंह
द. रामस्वरूप चतुर्वेदी
उत्तर- द
‘आल्हा’ किस ऋतु में गाए जाते हैं?
अ. वसंत ऋ़तु में
ब. वर्षा ऋतु में
स. ग्रीष्म ऋतु में
द. हेमंत ऋतु में
उत्तर- ब
‘प्रेमवाटिका’ किसकी काव्यकृति है?
अ. रसखान
ब. नागरीदास
स. आलम
द. भारतेन्दु हरिश्चंद्र
उत्तर- अ
‘रस गंगाधर’ में पंडितराज जगन्नाथ ने किस बादशाह की प्रशंसा की है?
अ. शाहजहां
ब. औरंगजेब
स. अकबर
द. बाबर
उत्तर- अ
रीतिकाल की प्रमुख धाराएं-
- रीतिकालीन कवियों को दो भागों में रखा जा सकता है- रीतिबद्ध और रीति मुक्त।
- जिन कवियों ने काव्यरीतियों का पालन करते हुए काव्य रचना की, वे रीतिबद्ध कवि कहलाए। इनमें चिन्तामणि, मतिराम, राजा जसवन्तसिंह, भूषण, पद्माकर, श्रीपति, सेनापति आदि प्रमुख हैं।
- रीतिकाल की दूसरी धारा रीतिमुक्त कवियों की है, इन कवियों ने रीतिबद्ध कवियों की तरह ना तो लक्षण ग्रन्थ लिखे और ना रीति में बंधकर काव्य रचना की। जहां रीतिबद्ध कवियों ने चमत्कार प्रदर्शन के लिए बुद्धि प्रेरित कविता की, वहीं रीतिमुक्त कवियों में भावपक्ष की प्रधानता रही है।
- घनानन्द ने कहा भी है- लोग हैं लागि कवित्त बनावत, मोहितो मेरे कवित्त बनावत।
- इस धारा के कवियों में घनानन्द, बोधा, ठाकुर और आलम विशेष प्रसिद्ध हैं।
- विद्वानों ने रीतिकाल में कवियों की एक और धारा का उल्लेख किया है जिसे रीतिसिद्ध धारा कहा। इन कवियों ने लक्ष्य-लक्षण परंपरा का पालन नहीं किया। किन्तु उनकी कविताओं में रीति परिपाटी की सभी विशेषताएं मिलती हैं। रीतिसिद्ध कवियों में बिहारी सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। वैसे रीतिसिद्ध धारा को रीतिबद्ध धारा का ही अंग माना जाना चाहिए।
Post a Comment
0 Comments