- नोबेल पुरस्कार विजेता सी वी रमन उन्हें भारत का लियोनार्डो द विंची कहकर बुलाते थे।
- भारतीय भौतिक विज्ञान होमी जहांगीर भाभा, जिन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई के पारसी परिवार में हुआ था। भाभा बहुमुखी प्रतिभा युक्त वैज्ञानिक थे। उन्होंने सबसे पहले परमाणु शक्ति संपन्न भारत की कल्पना की और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा। उनके प्रयोगों और अथक प्रयासों की बदौलत भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों में से एक है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- उनके पिता होरमुसजी भाभा थे, जो एक मशहूर वकील थे। माता मेहरबाई टाटा, बिजनेसमैन रतनजी दादाभाई टाटा की बेटी थी।
- प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई। बाद में वे 1930 में ब्रिटेन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चले गए।
- भाभा ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की। 1935 में वहीं से परमाणु भौतिकी में पीएचडी की।
- उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कैवेंडिश प्रयोगशालाओं में अनुसंधान किया।
- उन्होंने कॉस्मिक किरणों और इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन प्रकीर्णन पर शोध किया था।
परमाणु कार्यक्रम में योगदान
- उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। द्वितीय युद्ध के दौरान उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज, बैंगलोर में बतौर रीडर ज्वाइन किया।
- 1944 में फिजिक्स में रिसर्च के लिए सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के सामने एक संस्थान बनाने का प्रस्ताव रखा और दिसंबर 1945 में इस प्रस्ताव पर ही भारतीय परमाणु अनुसंधान TIFR की स्थापना की गई, जो भारतीय परमाणु शोध का प्रमुख केंद्र बना और रिसर्च का काम शुरू हुआ।
- भाभी ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को परमाणु कार्यक्रम शुरू करने के लिए राजी किया।
- अप्रैल, 1948 को एटॉमिक एनर्जी एक्ट पास किया गया और होमी भाभा को न्यूक्लियर प्रोग्राम का निदेशक नियुक्त किया।
- एटॉमिक एनर्जी के तहत इंडियन एटॉमिक एनर्जी कमीशन का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना।
- परमाणु कार्यक्रम के लिए दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले यूरेनियम और थोरियम का इस्तेमाल किया गया था।
अप्सरा, पहला परमाणु रिएक्टर
- भाभा को देश के परमाणु कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके नेतृत्व में एटॉमिक एनर्जी कमीशन ने 1956 में पहला परमाणु रिएक्टर, अप्सरा विकसित किया।
- मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जो वर्तमान में परमाणु अनुसंधान का मुख्य केंद्र है।
- भाभा 1950 से 1966 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। तब वे भारत सरकार के सचिव भी थे।
होमी जहांगीर भाभा की प्रेरक बातें
- मेरी सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि कोई मेरे बारे में क्या सोचता है, मेरी सफलता वही होगी जिसे मैं अपने काम से पाऊंगा।
- हर शख्स सिर्फ उसी चीज में अपना सबसे अच्छा काम कर सकता है, जिसके लिए वह भावुक है और उसमें विश्वास रखता है।
- मेरा एक ही उद्देश्य है जीवन के प्रति अपनी चेतना की तीव्रता को बढ़ाना।
- सादगी पसंद भाभा कभी भी अपने चपरासी को अपना ब्रीफकेस नहीं उठाने देते थे।
- उन्हें 1954 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- विज्ञान के बिना कोई भी देश महान नहीं बन सकता।
निधन
- 24 जनवरी, 1966 को एयर इंडिया की उड़ान 101 की दुर्घटना में उनकी असमय मृत्यु हो गई। मोंट ब्लांक पर्वत के पास विमान की स्थिति के बारे में जिनेवा हवाई अड्डे और उड़ान के पायलट के बीच गलत संचार के चलते विमान क्रैश हो गया।
- विमान हादसे से तीन माह पूर्व ऑल इंडिया रेडियो पर भाभा ने घोषणा की कि उन्हें छूट मिल जाए, तो वे 18 माह के भीतर एटम बम बनाकर दिखा सकते हैं।
- वे हमेशा देश की सुरक्षा, ऊर्जा, कृषि और मेडिसिन के क्षेत्र के साथ ही न्यूक्लियर एनर्जी के डेवलपमेंट का जिक्र करते थे।
- वे देश के विकास को सर्वोपरि मानते थे। कहते हैं कि अगर उनका विमान क्रैश नहीं होता, तो भारत न्यूक्लियर साइंस की फील्ड में कई उपलब्धियां बहुत पहले हासिल कर सकता था।
अमेरिका पर लगा था भाभा की मौत की साजिश रचने का आरोप
- कहा जाता है कि होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA) का हाथ था। भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को रोकने के लिए भाभा की मौत की साजिश रची गई थी।
- हादसे के 42 साल बाद 2008 में एक दावा किया गया। विदेशी पत्रकार ग्रेगरी डगलस की किताब कन्वर्सेशन विद द क्रो में डगलस और सीआईए अफसर रॉबर्ट क्रॉउली के बीच बातचीत का अंश है।
- इसी में डगलस ने होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे सीआईए का हाथ होने के दावा किया था।
- किताब के मुताबिक 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत से अमेरिका की चिंता बढ़ गई थी।
- CIA ऑफिसर रह चुके रॉबर्ट क्रॉउली ने भाभा के प्लेन को बम से उड़ाए जाने की बात मानी थी।