प्राचीन भारत के आधुनिक इतिहासकार
- 1784 ई. में ‘एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल’ के संस्थापक सर विलियम जोंस
- 1837 ई. में अशोक के अभिलेखों को पढ़ने वाले जेम्स प्रिंसेप, 1861 ई. में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना करने वाले अलेक्जेण्डर कनिंघम तथा 1924 में हडप्पा संस्कृति के छिपे साक्ष्यों को उजागर करने वाले जॉन मार्शल आदि ने प्राचीन भारतीय इतिहास को प्रकाशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
मैक्समूलर 1823-1902:
- मूलतः जर्मनी निवासी
- ‘सैक्रेड बुक्स ऑफ दि ईस्ट’ के पचास खण्डों का सम्पादन किया।
विंसेन्ट स्मिथ 1843-1920 ई.
- ‘अर्ली हिस्ट्री ऑफ इण्डिया’1904 ई. प्रकाशित।
- भारत में विदेशियों की भूमिका पर बल।
डी.आर. भण्डारकर 1875-1950 ई.
- देवदत्त रामकृष्ण भण्डारकर भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार
- इन्होंने अपने ग्रंथों में पुरालेखीय एवं अन्य पुरातात्विक सामग्री का समुचित उपयोग किया है।
- अशोक और प्राचीन भारत की राजव्यवस्था पर लिखे इनके ऐतिहासिक ग्रंथों ने अनेक भ्रांतियों का निवारण किया है।
काशीप्रसाद जायसवाल 1881-1937
- ‘हिन्दू पॉलिटी’ नामक इतिहास ग्रंथ,1924 में
- वंशगत राज्य पद्धति के अतिरिक्त भारत में ऋग्वैदिक काल से ही गणतंत्रात्मक राज्य परम्परा थी।
हेमचंद्र राय चौधरी
- इन्होंने ‘पोलिटिकल हिस्ट्री ऑफ एंशिएंट इण्डिया’ नामक ग्रंथ लिखा।
- इसमें महाभारत काल से गुप्तकाल तक भारतीय इतिहास को समाहित किया।
के.ए. नीलकण्ठ शास्त्री
- इन्होंने ‘ए हिस्ट्री ऑफ एंशिएंट इण्डिया’ और ‘ए हिस्ट्री ऑफ साउथ इंडिया’ नामक महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की।
- इन्होंने पहली बार दक्षिण भारत का प्रामाणिक इतिहास लिखा।
- ‘एज ऑफ दि नंदाज एण्ड मौर्याज’ में इन्होंने नन्द वंश का प्रामाणिक एवं विस्तृत इतिहास लिखा।
पी.वी. काणे
- संस्कृत के विद्वान
- इन्होंने पांच खण्डों में ‘हिस्ट्री ऑफ धर्मशास्त्र’ लिखी।
- इसमें देश के सामाजिक, धार्मिक और राज
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